क्या हम स्वतंत्र हैं या पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित विश्व में जकड़ें हुए हैं ? क्या हमनें पूर्वजों की शिक्षा, भाषा और नैतिक मूल्यों को भुला दिया हैं? हम अपनी जड़ों से भटक गए हैं । हमें वापस लौटना हैं और ‘वैदिक भारत’ को पुनर्जीवित करना हैं। इस व्याख्यान में आपको अंतर्जातीय सम्बन्ध, समय के साथ विभिंन जातियों का पदानुक्रम में परिवर्तन और वर्णों के आधिकारों का विश्लेषण हैं ।
वक्ता-परिचय: –

मोहित भारद्वाज एक software engineer हैं I आपका उद्देश्य एक “वैदिक पाठशाला” का निर्माण करना है, जिसका लक्ष्य होगा प्राचीन शिक्षा प्रणाली को पुनः प्रचलित करना I इस कार्य सिद्धि के लिए वे पलवल, हरयाणा में स्थित वैदिक पाठशाला से प्रेरणा लेना चाहतें है I आगे…