अशराफ शब्द ‘शरीफ’ शब्द का बहुवचन है जिसका अर्थ उच्च, या सभ्य, यानि सभ्य समाज। अशराफ मुसलमानों में विदेशी उच्च जाति मुस्लिम शामिल हैं। तो यह कहना की जातिवाद केवल हिंदू धर्म में ही मौजूद है एक मिथक है। वस्तुतः मुसलमानों को दिए गए सभी लाभ व् प्रतिनिधित्व पर अशराफ का वर्चस्व है। इसके अलावा, इस्लामिक रीति-रिवाजों और कानून पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रकाशन, ‘मजमूये कानूने इस्लामी’ (इस्लामी कानूनों का संग्रह) में स्पष्ट रूप से केवल बराबर की जातियों(कूफु) में विवाह को ही मान्यता दी गयी है। यानि वे मुस्लिम समुदाय में जाति विभाजन को स्पष्ट स्वीकारते हैं, जब कि ऊपरी तौर पर कहा जाता है कि मुसलमानों में कोई जाति विभाजन नहीं है।
फ़ैज़ी पसमांदा के खिलाफ होने वाले जातिगत भेदभाव पर चर्चा करते है। पसमांदा मुस्लिम समाज में आदिवासी,दलित और पिछड़े वर्ग शामिल हैं। पसमांदा का शाब्दिक अर्थ है ‘जो पीछे रह गया’। ये वे लोग हैं जिन्होंने पहले कभी इस्लाम क़बूल किया था। वे बाहर से नहीं आये थे बल्कि भारत के ही मूल निवासी थे। इस्लामी फिक्ह में वर्णित अजलाफ और अर्ज़ाल जातियां इनमें शामिल हैं। इसके आलावा वे पसमांदा पर होने वाले सामाजिक अत्याचार और भेदभाव पर चर्चा करते हैं।