आधुनिक चिकित्सा मानव जीनोम (Genome) को अस्थिर करती है | राजीव रंजन का व्याख्यान

आम तौर पर हमें दो प्रकार की विचार धाराएं देखने को मिलती हैं – एक जो मानव जीवन को अपूर्ण मानती हैं और कुछ पैगंबर या भगवान का उपयोग करके पूर्णता की ओर बढ़ने का प्रयास करते हैं। दूसरी विचार धारा प्रक्रिया (भारत में उत्पन्न) कहती है कि जीवन एक भ्रम (माया) है और हमें इससे बाहर आने और मोक्ष की ओर बढ़ने के लिए खुद को विकसित करना चाहिए ।

मानव केंद्रित विचारों से ओत प्रोत अब्राहमिक अवधारणा ने पृथ्वी पर जीवन के 70% तत्वों को नष्ट कर दिया है। इस विचार प्रक्रिया से मानव में शारीरिक और मानसिक बीमारियाँ और विकार पैदा हो रहे हैं। मानव विकास के समग्र विचार को सही दिशा में मोड़ने करने की आवश्यकता है, यदि हम अपने भविष्य को सुरक्षित रखना चाहते हैं।

चूँकि मनुष्य का शरीर प्रकृति से विकसित हुआ है; हमारे शरीर को प्राकृतिक भोजन और प्राकृतिक ट्रिगर्स के लिए ही बनाया गया है। हमने इन दोनों को बदल दिया है। परिणामस्वरूप, हमें ऐसे रोग एवं विकार मिलते हैं जो मूल रूप से शरीर के कमजोर होने के कारन उत्पन्न हुए हैं। समाधान मानव शरीर प्रणाली को मजबूत करने में निहित है। कुंभक (सांस पर नियंत्रण) मानव शरीर के लिए शक्ति तंत्र बनाने वाली ताकत है। यह पुरानी बीमारियों के लिए भी समाधान प्रदान करता है।


वक्ता-परिचय: –

कुंभक योगी, विभूति शिव (निराकार परम तत्त्व) द्वारा अनुगृहीत। विश्व में कुम्भक न्याय (Order) की स्थापना की दिशा में कार्यरत। एक रक्षा परिवार में जन्मे, पोस्ट ग्रेजुएट, कुम्भक के माध्यम से बीमारी के उत्थान की परियोजनाएँ करना। आगे…


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